अनार का पौधा तीन -चार साल में पेड़ बनकर फल देने लगता है और एक पेड़ करीब 25 वर्ष तक फल देता है | साथ ही अब तक के अनुसंधान के मुताबिक प्रति हेक्टयर उत्पादकता बढ़ाने के लिए अगर दो पौधों के बीच की दुरी को कम कर दिया जाए, तो प्रति पेड़ पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ता है| लेकिन ज्यादा पेड़ होने के कारण प्रति हेक्टयर उत्पादन करीब डेढ़ गुना हो जाता है | परंपरागत तरीके से अनार के पौधों के रोपाई करने पर एक हेक्टयर में 400 पौधे ही लग पाते हैं जबकि नए अनुसंधान के अनुसार पांच गुणा तीन मीटर में अनार के पौधों की रोपाई की जाए तो पौधों के फलने-फूलने पर कोई असर नहीं पड़ेगा और एक हैक्टयर में छह सौ पौधे लगाने से पैदावार डेढ़ गुना तक बढ़ जाएगी। ..........
पौधे के रोपण का समय: अनार के पौधें को लगाने का उपयुक्त समय अगस्त या फरवरी-मार्च होता है | किसान अगस्त में अनार के पौधों की रोपाई करते हैं तो तीन-चार साल बाद पेड़ फल देना शुरू कर देंगे और एक बार किए गए निवेश का लाभ कई सालों तक मिलता रहेगा | आनार के पौधें लगाने में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा खोजी गई विधि को काम में लिया जाए तो मुनाफा और बढ़ सकता है |
एक पौधे से कितने फल: एक सीजन में एक पौधे से लगभग 80 किलो फल मिलते हैं | इस हिसाब से बीच की दुरी कम करके पौधे लगाने से प्रति हेक्टयर 4800 क्विंटल तक फल मिल जाते हैं | इस हिसाब से एक हेक्टयर से आठ-दस लाख रूपए सालाना आया हो सकती है | लागत निलालने के बाद भी लाभ आकर्षक रहेगा | नई विधि को कम लाने से खाद व उर्बरक की लागत में महज 15 से 20 फीसदी बढ़ोतरी है, जबकि पैदावार 50 फीसदी बढ़ने के अलावा दूसरे नुकसानों से भी बचाव होता है | पौधों के बीच के दूरी कम होने से माइक्रोक्लाईमेट के कारण तेज गर्मी और ठण्डक दोनों से पौधों का बचाव होने के साथ बर्ड डैमेज यानि पक्षियों से फलों को होने वाला नुकसान भी काम हो जाता है |
रोगों से बचाव का तरीका: अनार के पौधों में फल छेदक और पौधों को सड़ने वाले कीड़े लगने का खतरा रहता है | इसके लिए कीटनाशक के छिड़काव के साथ पौधो के आसपास साफ-सफाई रखने से भी कीड़ो से बचाव होता है | अनार के पौधों के लिए गर्मियों का मौसम तो प्रतिकूल नहीं होता, लेकिन सर्दियों में पाले से पौधों को बचाने के लिए गधंक का तेजाब छिड़कते रहना जरुरी है | नियमित रूप से पानी देने से पाले से बचाव होने से पौधे जलने से बच जाते हैं | सर्दी के मौसम में फलों के फटने की आशंका ज्यादा होती है | इसलिए पौधों का सर्दी से बचाव करके फलों को बचाया जा सकता है | इस तरह खरीफ में दूसरी फसल के साथ अनार के पौधे लगाकर किसान कमाई का एक अतिरिक्त जरिया तैयार कर सकते है|
खाद का प्रयोग : अनार के फल जुलाई-अगस्त में लेने के लिए जून माह में 3 वर्षीय पोधों में 150 ग्राम, चार वर्षीय पोधों में 200 ग्राम या अधिक वर्षीय पौधों में 250 ग्राम यूरिया प्रति पौधा देकर सिंचाई करें | छोटे पौधों में भी यूरिया इसी माह में दें | एक वर्षीय में 50 ग्राम व दो वर्षीय में 100 ग्राम यूरिया प्रति पौधा देकर सिंचाई करे | वैसे जुलाई -अगस्त में अनार की उपज भी अच्छी होती है तथा बाजार भी ठीक रहता है |
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