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कामचोर बन्दर

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Submitted by Toshiba Anand on

पंकजवन में टिपू नाम का एक बन्दर था, जो जानवरों में सबसे चालक था।  एक दिन रीतू जम्बों हाथी और बिंदु भालू एक साथ बैठे थे। एक दिन रीतू जम्बों हाथी और और बिंदु भालू एक साथ बैठे थे। वे सभी परेशान थे। उनकी परेशानी यह थी कि जब दूरदराज से उनके नाम की कोई चिठ्ठी आती थी, तो उसे लाने में लम्बू जिराफ काफी समय लगता था। वगैर पैसे दिए कोई भी चिठ्ठी उन्हें नहीं मिलती थी।


एक दिन सबने बैठकर एकमत से सहमत होकर यह निश्चय किया था की पंकजवन का डाकिया टीपू बन्दर को बनाया जाए, क्योंकि वह चुस्त और चालाक भी है उसी दिन से टीपू बन्दर  पंकजवन का डाकिया बना दिया गया। टीपू बन्दर समय पर सभी डाक लाकर दे देता था। टीपू बन्दर ने देखा की उसे सभी चाहते हैं, तो उसने पैसों की जगह हर एक से केला लेना शुरू कर दिया।

धीरे-धीरे टीपू बन्दर कामचोर होता गया और उसकी कामचोरी बढ़ती गई। जब सभी ने देखा कि टीपू बन्दर कामचोर हो गया है और सभी से पैसे लेने लगा है और सबने बैठकर पंकजवन में एक बैठक आयोजित की और सर्वसम्मति से निर्णय पारित किया कि अब टीपू बन्दर को हटा दिया जाए और बिंदु भालू को डाकिया बना दिया जाए, परन्तु इसी बीच जम्बों हाथी बीच में कूद पड़ा और बोला अब इस जंगल में कोई डाकिया नहीं बनेगा।  सभी जानवरों ने उससे कहा कि नया डाकिया नहीं बनेगा, तो हम लोगों को चिठ्ठी कैसे मिलेगी। जम्बों हाथी ने कहा, अब शहर में अपने नाते-रिश्तेदारों, दोस्तों, भाई-बहनों और माता-पिता को यह सन्देश भिजवा दो कि वे अब चिठ्ठी न लिखें, तो आप सभी आगे देखंगे की टीपू बन्दर घर में बैठा रहेगा। बिंदु भालू ने कहा भईया जम्बों आपका आइडिया बहुत अच्छा है, मगर अगर शहर में किसी को कुछ हो गया, तो खबर कैसे पता लगेगी। सभी जानवर एक साथ बोले हां-हां बताओ कैसे पता चलेगा ? जम्बों हाथी ने कहा, सब शांत होकर मेरी बात बात सुनो हम सुनो हम सब मिलकर एक साथ पंकज वन में एक टेलीफोन बूथ खोलेंगे। यहीं नहीं सभी जानवर अपने अपने घरों में टेलीफोन लगा लें, जिससे उन्हें कभी डाकिए के भरोसे रहना नहीं पड़ेगा। यह सुनकर सभी जानवर खुश हो गए।

यह सब बातें टीपू बन्दर सुन रह था, उसे अपनी भूल का अहसास  हुआ और उसने बहुत पश्चताप किया और उसने सभी जानवरों से माफ़ी मांगी।  

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