Skip to main content

हर प्रकार की मिट्टी मूली के लिए उपयुक्त

Profile picture for user toshi
Submitted by Toshiba Anand on Tue, 10/09/2018

भूमि और जलवायु : मूली को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता हैं परन्तु अच्छे परिणाम प्राप्त करने हेतु बुलाई दोमट मिट्टी अच्छी होती हैं। उत्तरी भारत मैदानी भागों में खरीफ में इसे पछेती फसल तथा रबी में शाकीय फसल के रूप में उगाया जाता है। 

बोने का समय : मूली साल भर उगाई जा सकती है , फिर भी व्यवसायिक स्तर पर इसे मैदानों में सितम्बर से जनवरी तक और पहाड़ों में मार्च से अगस्त तक बोया जाता है। साल भर मूली उगाने के लिए मूली की प्रजातियों के अनुसार उनकी बुआई के समय का चुनाव किया जाता है , जैसे की मूली की पूसा रशिम पूसा हिमानी का बुआई का समय मध्य सितम्बर है तथा जापानी सफ़ेद एवं व्हाइट आइसीकिल किस्म की बुआई का समय मध्य अक्तुबर है तथा पूसा चैतकी की बुआई मार्च में अंत समय में करते हैं और पूसा देशी किस्म की बुआई अगस्त माह के मध्य समय में की जाती है। 

बुआई का तरीका : सीधी बुआई की अपेक्षा 45 से.मी. की दूरी पर मेंड़ पर उथली बुआई करना उपयुक्त रहता है। बीजों के अंकुरण के बाद फासला 8 से 10 सें.मी. रखते हैं तथा बीच के पौधे को निकाल देते हैं। क्यारियों तथा पौधों से पौधे की दुरी किस्म तथा बुआई के मौसम पर निर्भर करती है। 

सिंचाई : मूली की खेती में बुआई से लेकर मूली के बढ़ने, यहाँ तक की उखाड़ लेने तक पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है। गर्मी के मौसम में हर 4 से 6 दिन तथा सर्दी में 8 से 15 दिन सिंचाई करनी चाहिए। फसल को खरपतवार से बचने के लिए निराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए। 

खाद और उर्वरक : 100 कि.ग्रा कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट अथवा 50 कि.ग्रा उत्तम यूरिया, 125 कि.ग्रा सिंगल सुपर फास्फेट तथा 75 कि.ग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश को मेंड़ बनाने से पहले मिट्टी में मिला लेना चाहिए। जब जड़ें बनना शुरू हो जाए, तब अन्य 50 कि.ग्रा यूरिया खड़ी फसल में दें। 

खुदाई : जब जड़े थोड़ी मुलायम हों, तभी मूली उखाड़ लेनी चाहिए। खुदाई में कुछ दिनों की देरी करने पर मूली गूदेदार हो जाएगी, जो कि खपत हेतु अनुपयुक्त होगी।  

Back to top