मशरूम प्रति इकाई क्षेत्र में अधिकतम प्रोटीन देता है। इसे घर के किसी भी नमी वाले कोने में उगाया जा सकता है। महिलाएं इसे किचन गार्डन गतिविधि के रूप में अपना सकती हैं। वैसे भी देश की 50 प्रतिशत महिलाएं आबादी कृषि से जुड़ी गतिविधयों में 90 प्रतिशत का योगदान करती हैं। घर में ही मशरूम की खेती करना महिलाओं की कार्यशैली और प्रबंध कौशल के सर्वथा अनुकूल है। शाकाहारी परिवारों की प्रोटीन की जरुरत को पूरा करने के लिए प्रोटीन से भरपूर मशरूम की खेती घर में बहुत आसानी के साथ की जा सकती है।
यह मधुमेह को नियंत्रित करता है और कैंसर रोगियों की कीमोथेरपी के बाद होने वाले साइड इफेक्ट को भी कम करता है। मशरूम से बनने वाले नाना प्रकार के वयंजन तैयार करना भी महिलाओं के लिए घर में तरह-तरह के व्यंजन बनाकर उनकी आपूर्ति करना एक अच्छा व्यवसाय हो सकता है। मशरूम पाउडर, मशरूम पापड़ और मशरूम का आचार तैयार करने का काम कुटीर उद्योग स्तर पर किया जा सकता है। मशरूम सैंडविच, मशरूम चावल, मशरूम सुप और मशरूम करी आदि व्यंजन पहले से ही काफी लोकप्रिय हैं। संसथान ने नारंगी रंग का खूबसूरत मशरूम पैदा करने की तकनीक विकसित की है, जो गमले रखने वालों और पुष्प प्रेमियों के लिए एक आकर्षण है। मशरूम को प्रोत्साहित करने का एक लाभ यह भी है की पैदावार के बाद इसकी बची-खुची सामग्री जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और जैविक खाद तैयार करने में सहायक सिद्ध होती है।
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